Mon. Mar 27th, 2023

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पश्चिम बंगाल में एडेनोवायरस का कहर

जारी है। यह कोरोना जैसा ही एक नया वायरस है

और यह भी कोरोना की भांति संक्रामक है। इसके लक्षणों में रोगी में बुखार, खांसी, गले में खराश, नाक बहना, उल्टी, दस्त, पेट दर्द, तेज-तेज सांस लेना, गुलाबी आंखें हो जाना, कान के संक्रमण, सीने में ठंड और न्यूमोनिया आदि लक्षण सामने आए हैं। इन दिनों पश्चिम बंगाल के अलावा महाराष्ट्र के पुणे और कुछ दूसरी जगहों में भी ऐसे लक्षणों के मरीज मिलना मेडिकल विशेषज्ञों के साथ ही हम सबके लिए परेशानी का सबब बना है।

चिकित्सक कह रहे हैं कि एडोनावायरस का असर सबसे ज्यादा बच्चों पर पड़ता है, लेकिन यह सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। सांस की बीमारी वाले बच्चों पर एडोनावायरस का तेज असर देखा गया है। वैसे भी बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इसीलिए उनके लिए यह त

घातक होता सकता है। आज व्यायाम, कसरत, अच्छे भोजन और अच्छी जीवनशैली से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना

समय की आवश्यकता इसलिए हो गई है, क्योंकि आज धरती के कण-कण में वायु से लेकर जल, मिट्टी तक • में प्रदूषण है। सुकून की बात है कि एडोनावायरस कोरोना का कोई वेरियंट नहीं है। इसे वायरल फ्लू की तरह माना जा रहा है, इसलिए जरा सी सतर्कता और सावधानी से इससे डरे बिना घर पर भी इसका इलाज किया जा सकता है। पौष्टिक आहार, ताजा फल-सब्जियां, पानी की अच्छी मात्रा के साथ ही सतर्कता बहुत जरूरी है। समय-समय पर चिकित्सक से स्वास्थ्य सलाह भी लेनी जरूरी है। अब समय आ गया है, जब हम पर्यावरण और धरती के पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति अपने कर्तव्यों, दायित्वों को समझें। प्रकृति के साथ चलें, प्रकृति का संरक्षण करें, क्योंकि प्रकृति कभी भी किसी के साथ विश्वासघात नहीं करती।

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