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कत्यूरी राजवंश उत्तराखंड का एक ऐतिहासिक राजवंश रहा है जब अयोध्या के राजा सुमित्र मगध के राजा महा पदमनन्द से पराजित हो गए तो अयोध्या से सूर्यवंश और भगवान राम के वंसजो का शासन समाप्त हो गया इस यद्ध में सुमित्रा मारे नहीं गए थे अयोध्या घराने के राजकुमार शालिवाहन देव जोशी मठ में शासन किया आगे इनके वंशजो बासुदेव हुए कार्तिकेय पुर घाटी में कत्यूरी राजवंश की नीँव डाली कत्यूरी साम्राज्य अफ़ग़ानिस्तान से ले कर सिक्किम रुहेलखंड उत्तराखंड नेपाल तक फैला था बसंत देव ललित सुर देव पुराल देव असंती देव कटारमल देव धाम देव अंतिम कत्यूरी सम्राट ब्रम्ह देव जिनके नाम पे नेपाल में ब्रम्ह देव मंडी है जिसकी स्थापना ब्रम्ह देव ने की थी तिब्बत तक भी कत्यूरी साम्राज्य फैला था ब्रम्ह देव के बाद कत्यूरी साम्राज्य का विघटन हो गया ब्रम्ह देव के पुत्र त्रिलोक पाल देव जो वैराठ के राजा थे इनके बड़े पुत्र निरंजन देव धोती नेपाल में राज्य की स्थापना किया छोटे पुत्र अभय पाल देव ने अस्कोट में राज्य स्थापित किया अभय पाल के बाद अस्कोट के राजा निर्भय पाल देव हुए अभय पाल के छोटे पुत्र अलख देव और तिलक देव महुली पूर्वी उत्तर प्रदेश में शासन किया अलख देव महुली के शासक हुए तिलक देव के वंशजो में अमोढ़ा बस्ती राज्य पर शासन किया राम की मुख्या शाखा का अस्तित्व आज भी है अस्कोट से अभय पाल देव के वंसज धारचूला निसिल देथाला और उकु में शासन किया

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